Wednesday, August 5, 2015

ظفر - ظاهر حسن زاده Зоҳир ҲАСАНЗОДА







دانلود رایگان متن کامل کتاب الکترونیک

ظفر - ظاهر حسن زاده  

یا

ظفر - ظاهر حسن زاده



Зоҳир ҲАСАНЗОДА

داستانی از نویسنده پارسی زبان ازبکستان ظاهر حسن زاده با الفبای سیریلیک


نمونه ادبیات تاجیک - استاد صدرالدین عینی








دانلود رایگان متن کامل کتاب الکترونیک

نمونه ادبیات تاجیک - استاد صدرالدین عینی

با مقدمه استاد ابوالقاسم لاهوتی

چاپخانه نشریات مرکزی خلق اتحاد جماهیر شوروی سوسیالیستی

مسکو

سال  ۱۹۲۶









Tuesday, July 12, 2011

مجموعه کتاب های آدش ایستاد نویسنده فارسی زبان ازبکستان


آدش ایستاد نویسنده فارسی زبان ازبکستان در پاسخ به درخواست های فارسی زبانان مسلط به رسم الخط سیریلیک، تعدادی از کتابهای خود را برای دانلود در اینترنت گذاشته است.
درود بر این نویسنده پارسی زبان.







Saturday, November 29, 2008

بين عشق من وتو


Байни ишки ману ту
بين عشق من وتو
Муаллиф Набиюллохи Суннатй

مولف:نبي‌الله سنتي


Байни ишқи ману ту отифаи марзи Илоҳ аст!
Ту набишкан, ки варо, чону дилам, сахт гуноҳ аст!

بين عشق من وتو عاطفه مرز الاه است
تو نبشكن،كه ورا،جان ودلم ،سخت گناه است

Байни лабҳои ману ту аташи бусаи гарм аст,
Байни оғуши ману ту ҳавасу оташу шарм аст.

بين لب‌هاي من وتو عطش بوسه گرم است
بين آغوش من وتو هوس و آتش و شرم است

Байни мо сарҳади хоҳишу ҳавас буд, вале ку?
Субҳи мо валвалаи бонги чарас буд, вале ку?
بين ما سرحد خواهش و هوس بود ولي كو؟
صبح ما ولوله بانگ جرس بود ولي كو؟

Субҳи мо бусаситониву ҳамоғушу вафо буд.
Субҳи мо чони ба чониву гулоғушу сафо буд.

صبح ما بوسه ستاني و هماغوش ووفا بود.
صبح ما جاني به جاني و گل‌آغوش و صفا بود.

Субҳи бедории мо буд ҳаме сина ба сина.
Набзи оғуши ту ҳангомае дар қабзи камина.

صبح بيداري ما بود همه سينه به سينه
نبض آغوش تو هنگامه اي در قبض كمينه

Магарам баъди чунин валвалаву дорунадорй,
Бо чй қувват шиканам ҳамҳамаи оинадорй?

مگرم بعد چنين ولوله ودار وندار
با چه قوت شكنم همهمه آينه داري؟


Баъди ту муйи ту мондаст ба болини гули ман.
З-ин пасам бистари ту қиблаи маъсуми дили ман.

بعد تو موي تو ماندست به بالين گُل من
زين پسم بستر تو قبله معصوم دل من

Мешамад ашки манат буйи туро сачдакунон, бин.
Руйи болини тар аз ашк, дилошуби ман аст ин.

مي‌شمد اشك من‌ات بوي تو را سجده كنان بين
روي بالينِ تر از اشك،دل‌آشوب من است اين.


Руйи болин ману ту роз ба шабҳо, ки бигуфтем.
Зи сари шавқ абад нолакунон ҳеч нахуфтем.

روي بالين من وتو راز به شب‌ها كه بگفتيم
زسر شبق ابد ناله‌كنان هيچ نخفتيم


То саҳар маст ба оғуши ту сармаст хазидам.
Бизадам хеш ба оғуши ту, бо шаст хазидам.

تا سحر مست به آغوش تو سرمست خزيدم
بزدم خويش به آغوش تو با شست خزيدم


Байни мо фосилаи сол басе шастпарй рафт.
Андароғуши сияҳчурдалаҳад хотираҳо хуфт.

بين ما فاصله سال بسي شست پري رفت
اندر آغوش سياه‌چرده لحد خاطره‌ها خفت


Бинишин дар сари ин мадфани мо ёри диловез.
Даме фарёд бизан, дурр зи чашмони худо рез.

بنشين درسر اين مدفن ما يار دلاويز
دمي فرياد بزن،درٌ ز چشمان خدا ريز


Инакам, боз ману кунчаки танҳоии бераҳм.
Инакам, боз ману гиряву овоии бераҳм.

اينكم،باز من و كُنجك تنهايي بي‌رحم.
اينكم ،باز من وگريه و آوايي بي‌رحم


Байни ишқи ману ту отифаи марзи Илоҳ аст!
Ту набишкан, ки варо, чону дилам, сахт гуноҳ аст!
بين عشق من وتو عاطفه مرز اله است!
تو نبشكن، كه ورا،جان ودلم،سخت گناه است!

سروده در:
خُجند دلاويز كه با صبح پاييزي هماغوش است
http://nomaishq.blogspot.com

Friday, November 7, 2008

چرا مطبوعات تاجيكستان،كمبغل‌ترين(كم محتواترين)مطبوعات جهان است؟

هفتم نوامبر 2008
http://tojikona.wordpress.com

بسته‌شَوي اكثريت روزنامه‌هاي تاجيكستان را اكثريت كارشناسان ورزيده جهاني ،مربوط به نداشتن بازارشناسي مطبوعاتي مي دانند.
براي آموزش علاوه‌گي و تكميلي دانشِ دانش‌آموزان «مكتب ژورناليستي ورا رود» به شهر خجند،از كشور هلند آقاي «لئو اينهويين» تشريف آورد.

آقاي «لئو اينهويين» وضع مالي روزنامه نگاري تاجيكستان را نه آنقدر خوب ارزيابي مي كند و كسريات بسته شوي روزنامه هاي كشور را از ندانستن مفهوم بازارو عدم متخصص بازارشناسي(ماركتولوگ) حاضرندش مي‌برند.
-من چند روز كه در كشور شما بودم مشاهده كردم كه هيئت ايجادي خوب است اما اين آخر كار ژورناليست نيست.ژورناليست‌ها با برابري داشتن مهارت نوشتن بايد مهارت فروش مواد خود را داشته‌باشد.متاسفانه هنوز در تاجيكستان روند ژورناليسم شوروي باقي مانده‌است كه تا به حال به اميد آبونه فعاليت دارند.در مطبوعات تاجيكستان بازارشناسي اصلي ساحه مطبوعات نمي رسد-مي گويد ‌ آقاي «لئو اينهويين».

يادآور مي شوم كه سمينار مذكور دوروزه بود.كارشناس ساحه ژورناليستي آقاي «لئو اينهويين» از روي لايحه
САҲА
دعوت شده است.همزمان مكتب ژورناليستي «ورا رود» از روي لايحه سفارت آمريكا، كورسي شش ماهه دارد.دايركتور لايحه نعمت‌الله‌ميرسيداُف،ترنران جورايوسفي،و نبي‌الله سنتي از نازكي هاي ژورناليستي غرب به دانش آموزان مكتب مزبور درس مي گويند.
برگردان به دبيره پارسي: باقر كتابدار

Monday, November 3, 2008

Дардномае ба дарё دردنامه اي به دريا


Муаллиф Набиюллохи Суннатй
مولف:نبي الله سنتي


Ало эй сафҳаи дарё,
Сапедй, ҳамчу руйи ёр.
Ба руят дард бинвисам,
Бубар аз ман ба суйи ёр.
الا اي صفحه دريا!
سپيدي همچو روي يار
به رويت درد بنويسم
ببر از من به سوي يار

Ало эй мавчҳои варшикаста,
Зи ман туфон биёмузед.
Ало эй абрҳои бе сару пой,
Сиришк аз ман барандузед.
الا اي موجهاي ورشكسته!
زمن طوفان بياموزيد
الا اي ابرهاي بي سر وپاي!
سرشك از من براندوزيد
Ало эй сафҳаи дарё,
Чу борон бар ту омезад,
Бигу бар ёри ман, ки у,
Ба зулфат гул биёвезад.
الا اي صفحه دريا!
چو باران بر تو آميزد
بگو بر يار من كه او
به زلفت گل بياويزد

Ало дарё, ало эй мавчҳоят,
Ба сони синаҳои бардамида,
Замоне, то ба субҳи соф,
Ба суйи қуллаҳояш ман хазида.
الا دريا! الا اي موجهايت
به سان سينه هاي بر دميده
زماني تا به صبح صاف
به سوي قله هايش من خزيده

Чу сони мавчҳоят мехазидам,
Миёни бозувони хурд.
Ду дастам дар камарбандаш,
Чу мавчат ғутаҳо мехурд.
چو سان موجهايت مي‌خزيدم
ميان بازواني خُرد
دو دستم در كمربندش
چو موجت غوطه‌ها مي‌خورد

Чу мавчат бусабахшй буд,
Ба соҳилҳои лабҳояш.
Ба мавчат маҳ чило дорад,
Танам бар тан ба шабҳояш.
چو موجت بوسه بخشي بود
به ساحل‌هاي لب‌هايش
به موجت مه چلا دارد
تنم بر تن به شبهايش

Чилои ғабғабаш ҳар шаб,
Ба руйи бистарам мерехт,
Арақ аз ҳар тори муйи у,
Ба руйи синаам мебехт.
چلاي غبغبش هر شب
به روي بسترم مي‌ريخت
عرق از تار موي او
به روي سينه ام مي بيخت

Ало дарё, ало эй сафҳаи зебо,
Ки рангин кардам имшаб сафҳаатро,
Маро бахшо, маро бахшо, маро бахш,
Ки ғамгин кардам имшаб сафҳаатро.

الا دريا! الا اي صفحه زيبا!
كه رنگين‌كردم امشب صفحه‌ات را
مرا بخشا،مرابخشا،مرابخشا
كه غمگين كردم امشب صفحه ات را

31اكتبر سال 2008-شهر خجند
برگردان به دبيره پارسي: باقر كتابدار

Зимистон — балои қаҳратун (қаҳру тунд) زمستان بلاي قهروتن(قهر وتند)


از رستم
Дар кишвар муборизаи нав — ҳар роҳбару раис талош мекунад, корхонаи худро ба рӯйхатти муассисаҳои стратегии Тоҷикистон дохил кунад. Дар он ҳолат барқ дар ин коргоҳ қатъ нахоҳад шуд. Маълум нест, интихоби муассисаҳо аз рӯйи кадом меъёр ба амал меояд, чунки баъзе бемористонҳо ба номгӯй шомил нашудаанд ва баъзе корхонаҳое ворид шудаанд, ки аҳамияти умумӣ надоранд.
در كشور مبارزه اي نو –هر راهبر ورييس تلاش مي كند كارخانه خود را به روي خط موسسه هاي استراتژي تاجيكستان داخل كند.در آن حالت برق در اين كارگاه قطع نخواهد شد.
معلوم نيست انتخاب موسسه ها از روي كدام معيار به عمل مي آيد چون‌كه بعضي بيمارستان‌ها به نامگويي شامل نشده‌اند وبعضي كارخانه‌ها وارد شده اند كه اهميت عمومي ندارند.
Хонаҳои мардум, аммо на аҳамияти умумӣ доранд ва на стратегӣ. Бо вуҷуди ваъдаи мансабдорон эҳсос мешавад, сахтиҳои ин зимистон ҳам мисли балое ба сари мардум хоҳад борид. Аз он ҷо ки ҳеҷ кас барои мурдани фарзандони навзоди мардум, занони ҳомила ва мӯйсафедон ҷазо нагирифт, ин зимистон ҳам ҷони тоҷик арзонтарин матоъ хоҳад буд. Андешаи шумо дар ин бора чист?
خانه هاي مردم اما نه اهميت عمومي دارند ونه استراتژي.با وجود وعده منصب‌داران،احساس مي‌شود،سختي هاي اين زمستان هم مثل بلا بر سر مردم خواهد باريد.از آنجا كه هيچ‌كس براي مردن فرزندان نوزاد مردم،زنان حامله و موي سپيدان،جزا نگرفت،اين زمستان هم جان تاجيك ارزانترين متاع خواهد بود.انديشه شما در اين باره چيست؟

Saturday, October 25, 2008

چگونه مي توان به اتحاد سه كشور پارسي زبان كمك كرد Чегунеҳ ми тавон бе еттеҳод е се кишвар е порси забон кумак кард


اول از همه از ياشار متشكرم كه اين امكان را داد كه از اين بلاگ براي انتشار ديدگاههاي خود استفاده كنم.
Аввал аз ҳамеҳ аз Ёшор мутешаккерам ке ин имкон ро дод ке аз ин блог барои интешоре дидгоҳ ҳои худ истифодеҳ кунам
چند روز قبل در بلاگ رستم با نام انديشه به مطالبي برخوردم كه ظاهرا از روي دلسوزي نوشته شده بود اما در واقع عاملي براي تفرقه بيشتر بين پارسي زبانان است.
Чанд руз қабл дар блог Рустам ба есми (андиша) бе матолеби бар хурдам ке зоҳеран аз руие дилсузи невешта шуда буд амма дар воқеҳ омели барои тафрақеҳ биштар беине порси забонон аст.
امروز هم مطلب جالبي از استاد آداش ايستاد ديدم كه در اين زمينه لب به اعتراض گشوده و در خواست داشت كه احساسي برخورد نكنيم و گله هاي كوچك را كه گاه واقعي هم هست به معضل بزرگي تبديل ننماييم.
Имруз хам матлаби аз Адош Истод дидам ке дар ин замина лаб бе етероз гушуда ва дархост дошт ке еҳсоси бархурд накуним ва геле ҳои кучак ро ке гоҳ воқе и ҳам ҳаст бе музал бузурги табдил нанама еим
حال كه دولتهاي ما تمايل عملي براي همگرايي نشان نمي دهند،بياييم ما روشنفكران به عوض دورترشدن از يكديگر ،كاري كنيم كه به هم نزديكتر شويم.
Ҳол ке давлатҳои мо тамоиул амали барои ҳаигароии нишон неми даҳанд биёим мо рушанфекрон бе аваз дуртар шудан аз иакдигар кори куним ке бе ҳам наздиктар шавим.
براي اين كار ،چند پيشنهاد عمل گرايانه را مطرح مي كنم وخواهش دارم كه نظر خود را دراين باره مطرح كنيد:
Барои ин кор чанд пишнаҳод е амал гароиёнеҳ ро матраҳ ми кунам ва хоҳиш дорам ке назаре худ ро дар ин бореҳ матраҳ кунид.
1-مردم ايران از برنامه هاي ماهواره تاجيكستان محروم هستند.نه به اين علت كه در ايران قابل دريافت نيست بلكه از آن جهت كه مردم ايران آنتنهاي ماهواره خود را بر روي هات برد تنظيم كرده اند.
1.мардум ирон аз барноме ҳои моҳвореҳ тоджикистон маҳрум ҳастанд.на бе ин еллат ке дар ирон қобел дарёфт нист балкеҳ аз он руи ке мардум ирон онтенҳои моҳвореҳ худ ро бар руи ҳотберд танзим карде анд.
از روشنفكران تاجيك مصرا درخواست مي كنم با دولتمردان تماس بگيرند واز آنان بخواهند كه:
Аз рушанфекроне тоджик мусерран дархост ми кунам бо дулатмардон тамос бегиранд ва аз онон бехоҳанд ке
*حتما كانالهاي ماهواره اي خود را بر روي هات برد هم پخش كنند.
Ҳатман конолҳои моҳворе и худ ро руи ҳотберд ҳам пахш кунанд.
*درخواست داشته باشند كه تمامي برنامه هاي اين كانالها حتما به زبان پارسي باشد واز پخش فيلمهاي به زبان روسي خودداري كنند.
Дархост доштеҳ бошанд ке тамоми барномеҳ ҳои ин конолҳо ҳатман бе забон порси бошад ва аз пахш филмҳоибе забон руси худдори кунанд.
2-مطالب سايتها وبلاگهاي خود را به دو خط سيريليك وعربي بنويسند.
2.матолеб соитҳо ва веблогҳои худ ро бе ду хаттеҳ сирилик ва араби беневисанд.
3-اگر قادر به نوشتن دو زبانه نيستند حتما مطلب خود را بخوانند وضبط كنند وبراي شنيدن صدا در زير نوشته اصلي قرار دهند.
3.агар қодер бе невештан ду забонеҳ нистанд ҳатман матлаб худ ро бехонанд ва забт кунанд ва барои шенидане сада дар зир невешта асли қарор даҳанд.
صدا را فراموش نكنيد كه همين كار باعث نزديكي بيشتر ما خواهد شد
Садо ро фаромуш накунид ке ҳамин садо гузори баесе наздики биштар мо порсизабонон хоҳад шуд
باقر كتابدار
Боқир кетобдор

پيام به هم ملتان با هدف ملي


رستم اين روزها ظاهرا دچار بدبيني مفرط شده است .لطفا به او ياد آوري كنيد كه اين نوشته ها در راستاي ايجاد همگرايي سه كشور پارسي زبان نيست.

پيام به هم ملتان با هدف ملي
Паёме ба ҳаммиллатон бо ҳадафи миллӣ
محسن جباريان
منتشر در وبلاگ:
http://tojvar.wordpress.com
مردم تاجيك پاده نيست.ازدحام فشار خورده است،كه صاحب وسرور ندارد.خلقي است كه او را همه فروخته اند.روسها و آمريكايي ها،چيني ها وايراني ها،كي هاست كه تاجيكان را به يك پول پوچ يك تعظيم تا ميان و يا يك فقاع عشق فروخته اند.
سياست بازان تاجيك ،وكيلان وسفيران،سلاح داران وبي سلاحان،دينداران وبي دينان كشور نيز اين خلق را به باد فنا سر دادند زيرا فقط در غم خود اند.روزنامه نگاران تاجيك خود را به يك لبخند امام كه در عمرش نماز نگذاشت ،فروختند.اديبان تاجيك از تعبير «بسم الله» فقط به «رحمان» اش ايمان آوردند و ز او مثل خدا پرستش كرده و رحم مي خواهند.اگر خلق را پاده كرده وبه دست پاده بان دادند،اينها كردند،كه در صف پيش پاده مي روند.

پس رو بياوريم به مردم تاجيك با اين پيام وهدف ملي:
بيا كه يك دل ويك رنگ ويك زبان باشيم
براي وحدت اين قوم ،جانفشان باشيم
بيا كه زحمت موري به عمد نپسنديم
قرين مهر ومحبت به همگنان باشيم

بيا كه مملكت زما وفاق مي طلبد
بيا كه متفق وشاد وتوامان باشيم
نفاق را نگذاريم پا نهد به ميان
ز مكر وحيله ايام در امان باشيم

بيا كه خائن و بدخواه ومرتجع نشويم
به دوستان وطندار ،مهربان باشيم
بيا كه گلشن اغيار ،دوزخ جان است
زمين خود بستاييم و آسمان باشيم

بيا كه محبس ميهن ز خلد غير خوش است
بيا كه عاشق اين مرز باستان باشيم
بيا كه جان به ره خلق خود نثار كنيم
بيا كه زنده به تاريخ جاودان باشيم

بد مگويي!Бад магўй


آداش ايستاد-سمرقند
http://gerbisherdor.blogspot.com
يك نفر به دست قلم گرفته است و هر چيزي منفي كه در ايرانيها ديده است،روي كاغذ آورده است.كاري سهل بود،گر تنها روي كاغذ مي بود.وچنين عمل بار اول مشاهده نمي شود.
بوماگا وس سترپیت،يعني،كاغذ به همش تاب مي آورد مي گويند روسها.اما اين نوشته ها در اينترنت در بلاگ «انديشه» ايستادند و مثل حكم نامه يك كسي با ايرانيها بسيار تقريبي همكاري داشت بي تاثير نخواهد بود.
مقصد از اين نوشته هاي او چيست؟ آيا مي خواهد كه ايراني ها جهتهاي منفي خود را بفهمند و به اصلاح آن جهد كنند؟ در اين صورت بلاگ انديشه به سبب حروف كيريلي بين ايرانيها خواننده زياد ندارد.مثل اين است،كه خصلت هاي منفي بيني خود ما تاجيكان نيز كم نيست و اگر اين خصلتها را يگان ايراني جمع آوري كند و در مطبوعات ايران به خط فارسي عربي نشر نمايد،ما تاجيكان چه خواهيم گفت؟
حتما خواهيم گفت ،كه اي فلاني،چرا تنها با رنگ سياه تصويرمان مي كني،مگر صفت هاي خوب خلق تاجيك را نديده اي؟
باز خواهيم گفت،كه ز نشر چنين گپ ها مقصد چه بود؟ بر انگيختن نفرت بين تاجيك وايراني يا نزديكتر كردن آنها؟
سخن تنها عايد يك قوم نيست.ايراني هاي ايران تنها از مردم فارس عبارت نيستند،ترك وعرب زيادي آنجا ساكن اند.
حالا زمانست ،گر كس بگويد،كه خلق ازبك فلان و بهمدان ،تاجيكان با تعجب به او نگاه مي كنند وبا تاسف سر خواهند جنباند كه عقلش كم است.
زيرا ما تاجيكان با ازبكها همسايه،هم زمين،هم طبق هستيم،آنها را خوب مي شناسيم،مي دانيم ،كه خلق ازبك عموما آدم دوست ومهربان است.
گر چنين سخن هاي منفي نسبت به ايراني ها گفته شود،كسي زياد پيدا نمي شود كه اعتراض كند.سبب اين، خيلي از مرزهاي تاجيك دور ماندن ايراني ها است.اما كمين در تجربه حياتم بسيار مشاهده كردم،كه ز فرهنگيان ايراني آگاهند ،كه بر سر خلق تاجيك دو-سه قرن اخير چه فاجعه ها آمده است، ،و با تاجيكان خيلي صميمي تر مناسبت مي كنند و اگر لازم شود،كمك خود را دريغ نمي دارند.
سبب اساسي كم بيني ايراني ها نسبت تاجيكان،ضرر بزرگ وجدي است كه فرهنگ تاجيك عصر هاي اخير ديده است و آن موجب كم فرهنگي مردم تاجيك گرديده است.مثلا يك عصر آخر به سر مردم تاجيك چه قدر فاجعه ها آمد؟كتابسوزي،قتل وحبس و بدرقه روشنفكران اصيل،دوپاره ديگر كردن خط والفبا وبالاخره جنگ شهروندي،كه خيلي از صاحبان قلم كشته شدند.
اگر چند در زمان شوروي ،تشكيل جمهوري تاجيكستان حادثه اي مثبت بود،باز هم ما تاجيكان با خلقهاي ديگر شوروي در يك محبس آهنين بوديم،امكان دستيابي به دستاوردهاي علمي و معرفتي وفرهنگ جهاني خيلي كم بود.
دور رويم تا مسكو مي رفتيم اما جوانان ايراني در پاريس و لندن تحصيل علم مي كردند.به همين وجه آنها از شعر مدرن و هر چيز مثبت كه در غرب بود پيشتر وبيشتر از ما بهره بردند.سبب پيشرفت نثر بعدي تاجيك باز هم مكتب قرار گرفتن نثر كلاسيك روس گوگول،چخوف،تولستوي،و داستايوسكي در جهان بود.
به اين سبب عبارت«كمفرهنگي تاجيكي» يك جمع بست شرطي عمومي است.فرهنگ تاجيكي دستاوردهايي ويژه دارد كه براي ايراني ها جالب است.اما اين دستاوردها در ادبيات،موسيقي،نقاشي،آنقدر بزرگ نيست كه ما با دل پُري بگوييم صاحب پيشرفت فرهنگي گرديده ايم.
در سه دهسال اخير،ايراني هاي به غرب كوچ بسته توانستند كه فرهنگ نوين را حفظ ورواج بخشند.استوديوهاي تلويزيوني فارسي زياد تاسيس كنند وموسيقي به رقابت تاب آور را ايجاد نمايند.
چرا ما تاجيكان كليپهاي بلند صفت ايجاد كرده نمي توانيم كه توسط اين استوديوهاي تلويزيوني پخش بگردند؟
روشنفكران تاجيك گمان مي كنند كه هر يك ايراني از اين واقعه ها خبردار است.اما اينطور نيست.بسياري از ايراني ها فكر مي كنند كه سبب كم فرهنگي و كم دانشي ما از تنبلي و بي غيرتي است.
ما براي شناساندن خلق تاجيك به مردم ايراني قريب كه كاري نكرديم.تشكر به آقاي شعر دوست كه چند كتاب ادبي تاجيك را در ايران چاپ كرده است.اما اين وكارهاي ديگر آنقدر كم اند كه تصورات ايراني ها را نسبت به تاجيكان چنان كه بايد شكل ندادند.آفرين به ميرزا شكورزاد كه اين معما را از همه ما روشنفكران تاجيك بيشتر وعميقتر درك نمود و كتابهايي كه در ايران به طبع رساند،غناوت بزرگ فرهنگ تاجيكي را معرفي نمود.
دكتر مسعود مير شاهي در پاريس،شعر بانوان پارسي گوي ازبكستان را در كتاب«درٌ دري از سمرقند تا بخارا»نشر كرد.چنين كارها هستند.
اما صدها چنين كارها بايد عملي شوند تا كه ايراني ها نه تنها به ما با دلسوزي نگرند،بلكه تاجيكان را صميمانه دوست دارند.
به هر حال خلق تاجيك به چنين محبت صميمي ،ارزنده است

برگردان به دبيره پارسي:باقر كتابدار

Friday, October 24, 2008

فرزانه خجندي:طوفاني شاعرانه در راه است



فرزانه:طوفاني شاعرانه در راه است
گفتگو با فرزانه خجندي در لندن 13 اكتبر 2008
برگردان به خط پارسي از وبلاگ يك درويش
http://dariussthoughtland.blogspot.com/2008/10/farzane-there-will-be-poetic-storm.html

نظر شما در باره شعر امروز پارسي در كل چي هست،تا بعدا به جزييات در باره اش صحبت كنيم؟آيا امروزه شعر پارسي كامگر است يا گرفتار؟

فرزانه :بيشتر پژهشگران خيال مي كنند،كه شعر ما در رودكي به سر مي برد ودر مقام پايينتر از شعر نسل قبلي قرار دارد.ولي من بسيار خوشبين هستم.چون با اشعار جوانان كشورهاي پارسي زبان ايران،افغانستان وتاجيكستان تا اندازه اي آشنا هستم،مي توانم فال بزنم وخوشبين باشم،كه آينده شعر پارسي بسيار روشن است.تنها جرم ما اين است ،كه اگر ادبيات كشورهاي ديگر هميشه قدمي پيشتر به سوي رشد وبرازندگي و پيشرفت نهاد،ما جهاد مي كنيم ،تا به مقام و آن قله بلند،كه نيا رسيده بود،نزديكتر رويم.اين بسيار تفاوتي بزرگ است.گويا واپس مي رويم تا بزرگان خود.در حالي كه اقوام ديگر قدمهاي گسترده تر به پيش مي نهند.مثلا براي اهل ادب امروز وشوروي معاصر نزديك رفتن تا حافظ، پيشروي است،نه پسروي.يعني قريب آمدن تا مولانا،اين هم پيشرفتي بزرگ است.
آيا اين بدين معناست ،كه شعر ما در واقع پسرفت داشته،به گونه اي،كه اكنون ما بايد به هشتصد سال پيش،به مولوي برگرديم،تا بتوانيم شعر خوبي بگوييم؟
فرزانه:اين پس رفتن اصلا مترادف پيش رفتن است.زيرا مولانا وحافظ قله شعر پارسي هستند و كاري كه ما مي كنيم ،قريب آمدن به سوي آنهاست و من خيال نمي كنم،كه ما عقب نشيني مي كرده باشيم.حتما كه روح مولانا وحافظ ارشاد مي كنند،تا ما را به پيش بكشند.عقب نشيني در حالي خواهد بود كه از گذشتگان خود دور شويم.در ادبيات جهان سخت است كسي را ماناي مولانا و همسطح وهم مقام مولانا پيدا كرد.پس اهل ادب كشورهاي ديگر هم،با اينكه پيش مي روند وصعود مي كنند،من فكر نمي كنم،كه تا مولانا رسيده باشند.
يك عده هم بر اين انديشه اند،كه وجود چهره هايي بزرگوار،از رودكي گرفته تا اقبال لاهوري و غيره-براي ما-پارسي زبانان شعر گفتن را سخت كرده.برخي مي گويند،كه شايد اينها همه معناي موجود را گفتند وما ديگر حرفي براي گفتن نداريم...
فرزانه:آري اما مولانا مي گويد

گوش باز وچشم باز و اين عمي
حيرتم از چشم بندي خدا


و يا سعدي مي گويد:

خلق را زير گنبد دوار
چشمها كور وديدني بسيار

يعني كه ديدني يا گفتني هنوز بسيار است.فقط چشمي بايد آورد ،كه اين ديدني ها را ببيند.مثل سهراب سپهري،كه آمد ودنيا را به نوع ديگر ديد و معرفت كرد.مثل فروغ.مثل استاد لايق،كه گويا حرفهاي بزرگان رفته را مكرر كرد،اما همين تكرار او به نوعي نامكرر بود.خيلي تازه بود،چون روحي داشت بسيار قوي وبا عظمت.روحي داشت فراگير هفت آسمان و نُه فلك.و انسانهايي با شخصيت بسيار مقتدر و با پندار ومعرفت بسيار قوي شعراي تازه بيني آمدند و در كار هنر اعجازها كردند.
اين شعراي تازه بين بيشتر متعلق به دهه 1340 هجري خورشيدي و 1960-1970 ميلادي هستند.ولي آيا امروز چنين جنبش و جوششي در شعر پارسي سه كشور پارسي گو وازبكستان هست؟چهره هايي به وجود آمده اند،كه به مانند سهراب سپهري حرفي تازه گفته باشند يا مثل فروغ ديدي تازه داشته باشند يا مثل شاملو قالب شكني و بت شكني هايي داشته باشند؟
فرزانه:حتما بايد افرادي باشند،كه روح انقلابگر دارند و اقتدار رستاخيز كردن در عرصه هنر دارند.فقط اينكه ديگر اجتماع ما پذيرنده نيست،به حدي كه زماني بود،به خيال من.مثلا،اينجا،در مغرب،مي بينم،كه مردم به شعر آنقدر رغبت و پيوندي ندارند،از شعر بريده اند و تالارهايي ،كه شاعران در آنها شعر مي خوانند ،خاليست.اما در كشورهاي ما آن محبت و عطوفت و گرمي و ربايشي،كه شعر داشت ،هنوز تا اندازه اي هست.اما كساني چون فروغ شاملو واخوان ثالث و سهراب سپهري و رهي معيري يا استاد قناعت و واصف باختري ،استاد لايق،استاد بازار،سليمان لايق ومثل اينها...به اين حدشهرت نرسيده اند ،اما هنري دارند بسيار بلند ،كه زمان مي خواهد تا انتشار يابد.مثلا،تا حدي با آثار جوانان هم آشنا هستيم ومي بينيم چقدرجوانان كاوشها و جستجوها دارند،در جستجوي خود و خدا و حقيقت خود چقدر پويا هستند
و مي خواهند با سبكهاي جديد حرفهاي تازه و پيامي نو منتشر كنند.اما در اين ميان مانعي هم هست.در شعر پارسي علم زدن كاري ساده نيست.چوناني كه شما گفتم،اينجا مولانا و حافظ هستند،اينجا فروغ و شاملو و استاد لايق و خليل الله خليلي و بزرگاني هستند ،كه شهامتشان به حديست كه ديگرها گاه مثل غنچه مي مانند و قفس بند خود،نمي توانند باز شوند.يعني در وجود آنها نيرويي نيست،كه آنها را وا كند.يا نيروهاي خارجي اجازه نمي دهد،كه اين كسان اصل خودرا در يابند و حقيقت خود را بگشايند.
ولي با وجود اين،در تاجيكستان بودند چهره هايي،كه يكباره آمدند و در شعر پارسي تاجيكي چيزي تازه گفتند و خوب درخشيدند.خود شما بهترين نمونه اش هستيد اما بعد از آن چنين پديده اي ديگر نبود.كسي را نداريم،كه شعر را طوري گفته باشد ،كه توجه عموم به آن جلب شود واز او با عنوان چهره برجسته شعر نام ببرند.چرا؟
فرزانه:شما چند سال اخير را درنظر داريد.پنج تا ده سال اخير را،كه ما بيشتر گرفتار آب و دانه بوديم.جامعه ما به شعر،ادبيات وعاطفه كمتر توجه داشت.من خيال مي كنم بعد از اين سكوت حتما طوفاني خواهد آمد.يعني يك چهره بسيار درخشان و تابنده با پيام تازه و به سبك نو وبا روح با عظمتي با شهامت در راه است،كه حرفهاي كاملا نو خواهد گفت و قدمي فراتر خواهد گذاشت تا بزرگان.و يك نفري خواهد بود با روحي جهانگير.يعني افرادي با روح مسدود ومحدود نمي توانند كاري بكنند.
آيا در حال حاضر قاصدك هاي آن طوفان را مي بينيد؟
فرزانه:وقتي كه استاد لايق سرسخن نخستين مجموعه اشعار من را نوشته بودند،گفتند،كه من از فال زدن خودداري مي كنم و نمي گويم،كه از اين شاعر چه پيش آمدي را در جهان شعر انتظار داشته باشيم.من هم،به راستي،نمي توانم به خودم اجازه دهم و بگويم ،كه اين يا آن نفر حتما در جاده هنر انقلابي خواهد كرد و مردم بار ديگر ربايش گرمي شعر را در وجود خود احساس خواهند كرد.اما خوشبختانه،چند تني را مي بينم،كه اگر از دردهاي اهل هنر به مانند بزرگمنشي رها باشند و به شهرت كمتر بينديشند و به هنر بيشتر،واقعا در هنر رستاخيزهاي بزرگي خواهند كرد و به ما وشما درود تازه خواهند گفت.
به اميد خدا.حالا از شعرهاي تازه تان،كه جايي چاپ نشده،مي شود نمونه اي بخوانيد؟
فرزانه:
اين كيست،اين نشسته در چله خانه دل
در چله خانه دل هست آن يگانه دل
كَي تن دهد به مردن، بر ذلت فسردن
زيرا تويي ،تويي ،تو عذر و بهانه دل
با نام حضرت حق، اي عشق،از همين دم
دل-نازدانه تو ، تو نازدانه دل
هم حجم شبنمي شد جغرافياي فكرم
خورشيد من،بفرما بر بيكرانه دل
نام مرا نوشتي از حاشيه برون تر
نام تو را نوشتم من در ميانه دل
با گردخيز ايام، با تند تاز دوران
ماند و يا نماند جام ترانه دل


برگردان به خط پارسي:باقر كتابدار

Wednesday, October 22, 2008

حيف مبالغ زياد


تارنماي چراغ روزگار مطلب ديروز خود را به حيف وميل پول در برگذاري كنگره هاي دوشنبه اختصاص داده است:

محمد نظير احمدوف-مخصوص براي تارنماي چراغ روزگار
يا چرا آزمون جمهورياوي «آثارها»ي بهترين مكتبي،بي ثمر گذشت
آثارخانه خود از خود تشكيل نمي يابد
بيست ويكم اكتبر 2008-10-21
اشتراك كودكان و نورسان در كار آثارخانه مكتب امكانيات مي دهد كه آنها به تاريخ وفرهنگ ،هنرمندي ،كاسبي،و صنعت ملي خود را درك نمايند.جسما خود را آب وتاب دهند و جهان بيني شان را غني سازند.
از اينجا بر مي آيد كه آثارخانه يكي از منبع هاي مهمترين كارهاي تربيتي در مكتب هاي تحصيلاتي عمومي و دانشكده هاي عالي مملكت به شمار مي رود. آثارخانه خود از خود تشكيل نمي يابد.اينجا شخصان فدايي تشبث كار وخير خواه در تشكيل نمودن آن سهم گذاري مي كنند.كاري خير وبزرگ به نفع ديار خويش ز خود باقي مي گذارند.در تمامي شهر وناحيه هاي جمهوري به چنين شخصان جداگانه فدايي دچار شدن ممكن است.كه لحظه اي فارغ ز كار خويش در جستجوي اين يا آن موضوع مهم تربيتي با عزم وجزم وكوچه به كوچه وخانه به خانه سفر مي كنند.و با آدمان نسل كلانسال-تاريخي زنده وا مي خورند وبه اين راه صحيفه هاي فراموش گشته تاريخي را روشن مي گردانند.
سالهاي شصتم عصر گذشته در مركز ولايت سغد ،استانسياي توريستي ولايتي تحت سروري يعقوب دانيلوف (روحش شاد باد) عمل مي كرد.با تشبث اين مرد نجيب،قريب در تمامي مكتبهاي شهر وناحيه هاي ولايتي امروزه آثارخانه هاي گوناگون تشكيل يافته بودند.آن سالها اين دسته ها با نام «پي شناسي سرخ»عمل كرده ،باز يافته هاي زيادي به دست مي آوردند كه در آثارخانه ها تا امروز نگه داشته مي شوند.آهسته آهسته دوام دهندگان اين كار خير امروز هم در بعضي مكتب هاي جمهوري عمل مي كنند كه اين يك صحيفه مكمل تاريخي خلقمان مي باشد.متاسفانه از سالهاي 80-90عصر گذشته به جاي افزودن آثارخانه ها،قسمي در نتيجه خنك نظرانه رفتار كردن سروران مكتبها از بين رفتند و اكسپانات هاي بي شماري نادر نيز مثل برف آب شدند نه پي ماند ونه حيدر وكسي از راهبران ساحوي شهري و ولايتي و نهايت در سطح جمهورياوي نپرسيد كه چرا آثارخانه نيست ونابود گشت.
خوشبختانه در هزارساله دوم باز به راه ماندن آثارخانه رو آوردند.كه امروز در خود را به روي تماشابينان باز كرده مي آيند.براي جان ناك كردن كار اين آثارخانه ها از سال 2001 سركرده،آزمون آثارخانه هاي بهترين مكتبي گذرانيده مي شود.قبل از همه اهميت اين آزمون از آن عبارت مي باشد ،كه راهبران يا پي شناسان سرخ يا اكسپديت سياي جمهوريوي سياحي-كشورشناسي مكتبيان «تاجيكستان كشور عزيزمان» از تجربه جستجوي همديگر با خبر مي گردند.
کولاب خوب بود, دوشنبه چي؟

خوشبختانه آزمون اخيرهاي سال 2001 در شهر كولاب برپا شده بود،خيلي جالب دقت بود و در سطح بلند گذشت.يا خود تشكيل كنندگان به مقصد به ميان گذاشتن خود نايل گرديده بودند.طي يك هفته گذرانيدن اين آزمون،هر لحظه آن ثمرناك تشكيل گرديده سياحان نورس توانستند با جايهاي تاريخي اين سرزمين شناس گردند.
متاسفانه اكس پديت سياي چهارم كه وي در مركز جمهورياوي تحصيلاتي علاوگي از 10تا12 در شهر دوشنبه برپا گرديد از لحظه هاي اول تا انتها بي مقصد و بي مسووليتانه و بي ثمر گذشت.در يكان جا اشاره به چشم نمي رسيد كه آزمون جمهورياوي«آثارخانه هاي بهترين مكتبي» مي گذرد.تصور كنيد كه نمايش شناسي با ايكسپانتهاي آزمون سياحي كشور شناسي مكتب بچگان ،همگي سي دقيقه دوام كرد و قريب دو ساعت نمايندگان آثارخانه ها در باره تجربه جستجوي خود و كار ملي شان شناس شدند وخلاص.يعني آزمون در سطح جمهورياوي اكس پديت سيا همگي دونيم ساعت دوام كرد وخلاص.كارهاي تشكيلي باشد تماما به نظر نمي رسد.خوش است كه نمايندگان شهر وناحيه ها چون فال بين مي دانستند كه آزمون به مضمون مي گذرد به اين چاره بيني نيامده بودند.متاسفانه بغير از صحن مركزي تحصيلاتي ،علاوگي ديگر چيزي را نديدند.اقلا مي بايست براي پي شناسان نورس كه از دور ونزديك كشورمان به پايتخت آمده بودند ،اكسكورسيا تشكيل مي كردند.
ادامه را در اينجا پي گيري كنيد:

Tuesday, October 21, 2008

بحران جهاني با تاجيكستان چه خواهد كرد؟



رستم گرانقدر بحث جديدي را در وبلاگ خود شروع كرده تحت اين عنوان كه:
بحران جهاني با تاجيكستان چه خواهد كرد؟
Бо сипос аз хушзеҳнии Сироҷиддини азиз, ин бор аввал назари иштирокдорони “Андеша”-ро то ҷое ки мумкин аст, фаҳмида, сипас матраҳ карданием, ки бӯҳрони пулии ҷаҳон ба ватани мо чӣ таъсир расонида метавонад. Баъзе аз иқтисодшиносон гуфтаанд, таъсире нахоҳад дошт, вале чанд санад ва баррасие ба дастам афтод, ки то чӣ андоза таъсир кардани варшикастагии низоми молиявии ҷаҳон ба кишварҳое монанди Тоҷикистонро ояндабинӣ мекунанд. Аммо пеш аз ҳама бубинем, мардуми азизе, ки ба ин ҷо сар мезананд, чӣ андеша доранд.
با سپاس از خوش ذهني سراج الدين عزيز ،اين بار اول نظر اشتراك داران انديشه را تا جايي كه ممكن است ،فهميده،سپس مطرح مي كنمكه بحران پولي جهان به وطن ما چه تاثيري رسانيده مي تواند.بعضي از اقتصاد شناسان گفته اند تاثيري نخواهد داشت ولي چند سند وبررسي به دستم افتاد كه تا چه اندازه تاثير كردن ورشكستگي نظام مالي جهان به كشورهايي مانند تاجيكستان را آينده بيني مي كنند.اما پيش از همه ببينيم مردم عزيز كه به اينجا سر مي زنند چه انديشه دارند؟


براي شركت در اين نظر خواهي مي توانيد به اين آدرس برويد:

Monday, October 20, 2008

فيلمهاي فارسي تلويزيون سفينه در اين هفته


فيلمهاي فارسي تلويزيون سفينه در اين هفته
توجه:
1-ساعت به وقت تاجيكستان است.
2-اين شبكه به خوبي با بشقاب 75 سانتي متري در تمام ايران و افغانستان وتاجيكستان قابل دريافت است

چهارشنبه 22 اكتبر ساعت
2220
تا
2350
فيلم سينمايي كيسه آرزوهاي آسمان
Киссаи орзухои осмон

پنج شنبه 23 اكتبر
1320
تا
1430
فيلم سينمايي مجسمه عشق
Мучассамаи ишк
از ساعت
2220
تا
2350
فيلم سينمايي افسانه زندگي
Афсонаи зиндаги

جمعه 24 اكتبر
از
2300
تا
0030
فيلم سينمايي عشق نخستين نصرالدين
Ишки нахустини Насриддин

شنبه 25 اكتبر
0940
تا
1100
فيلم سينمايي دختر سوم
Духтари сеюм
از
2215
تا
2350
فيلم سينمايي كيسه زندان پاوياك
Киссаи зиндони Павиак

يكشنبه 26 اكتبر
2110
تا
2230
فيلم سينمايي قسمت شاعر
Кисмати шоир

كليپ زيباي آتش زرتشت

كليپ زيباي آتش زرتشت

Sunday, October 19, 2008

ديلماي تاجيكان ،هويت ملي،دين وسياست


رستم در تارنماي انديشه بحث جالبي را در باره هويت ملي تاجيكان آغاز كرده است:

Ҳасад мебарам ба онҳое, ки бо забони равону зебо менависанд. Аммо ҳасади ман ранги сафед дорад. Мехоҳам рӯзе забони модариамро ба дараҷае донам, ки битавонам бе ғалат ва зебо, монанди дӯстони ҳамандешамон Ромин, Дориюш ва дигарон бинависам ва худам аз навиштаҳои худам лаззат бибарам.
Ромини азиз баҳси оид ба мансубияти миллии Рӯдакӣ ва Фирдавсиро дар торнигори худ “Ҷоми Ҷам” идома дод ва фикру андешаи ҷолиберо дар миён гузошт. Ман навиштаи ахири ӯро дар ин торнигор бо лаззати тамом мутолеъа кардам ва хеле хуш шудам. Ба фикрам, бознашри мақолаи Абдулазими Абдулваҳҳоб бо вуҷуде ки Ромин ӯро аз пайравони Маҳмуди Кавир медонад, кори дуруст буд, чунки ба думболаш нуқтаназарҳои зиёде баён шуд ва мебоист ҳамин тавр ҳам мешуд. Мо бояд ҳақ дошта бошем, ки чунин масъалаҳоро матраҳ ва баҳс кунем ва ба хулосае бирасем. Баракси Ромин ва Дориюш ман бар ин фикр ҳастам, ки баҳс накардани ин масъалаҳо метавонад нишонаи худкамбинӣ (компелкс неполноценности) бошад, на баҳс кардани онҳо.
Аз сӯе ҳам баҳси мо айнан дар сатҳи бахши ағлаби мардуми мост ва умед дорам, ба бисёриҳо таъсир хоҳад кард. Баракс Дориюш ва Ромин аз ин бахши ағлаб чандин қадамҳо пеш рафтаанд ва фаҳмидани фикри онҳо барои ом як андоза мушкил аст.
Ҳоло биёем ба сари асли матлаб. Баҳс сари ин набуду нест, ки мо эронӣ ҳастем ё на. Агар Иброҳими Усмон худро эрониасл намешуморад, кори ӯст, ҳақиқат яктост. Мо аз нажоди ориёӣ, эронием. Баҳс сари ин аст, ки чаро бархе афрод мухолифанд, ки Фирдавсӣ ва Рӯдакӣ ба мо низ тааллуқ доранд ва агар далели онҳо ин аст, ки “Бож куҷову Душанбе куҷо?”, Абдулваҳҳоб далели ҷавобӣ мегузорад, ки “Панҷрӯд куҷову Теҳрон куҷо?” ва бад-он маънӣ, ки мантиқи Кавир хачирест, ки ба ҳарду по мелангад, аммо хачири хатарнок ва тафриқаангез.
Вале чун дӯстон баҳсро ба он ҷо кашиданд, ки мо набояд худро “тоҷик” гӯем, балки бо “эронӣ” хондани хеш масъалаи ҳувияти Фирдавсӣ ва Рӯдакиро ҳал кунем, мушкил сангинтар мешавад.
Дар давраи ҳозир арсаи муъомилоти мардуми мо асосан Русия ва кишварҳои Осиёи Марказист. Дар ин ҷо моро ҳамчун тоҷик мешиносанд. Вожаи “тоҷик” ихтироъ ё дурӯғи як гурӯҳи шӯравизадаҳо нест, балки аз умқи таърих меояд. Миллати мо тоҷик аст, забонамон форсӣ. Шумо шоҳид будед, ки аз қонуни асосӣ вожаи “форсӣ”-ро канор гузоштанд. Муносибати эрониҳо, чи аз Эрон ва чи эрониҳои хориҷ ба сурати умум ба иллати мазҳаб ё сабабҳои дигар бо вуҷуди намунаҳои кам начандон самимона аст. Худро “эронӣ” гуфтани мо пеш аз ҳама на ба маънии фарҳанг, балки ба маънои миллият ва мазҳаб пазируфта хоҳад шуд. Яъне ҷудоӣ ва парокандагии бештар дар миёни як миллати камшумор ва бе ин ҳам парешону нотифоқ.
Дар чунин ҳолат фикри шахсии ман ин аст, ки дар марҳилаи феълии рӯзгори сахти хеш, вақте ҳам Ромин ва ҳам Дориюш эътироф мекунанд, ки миллати мо дар бӯҳрони ҳувият ғарқа гаштааст, бӯҳронитар кардани вазъ ва гиҷтар кардани афкори мардум кори савобе нахоҳад буд. Барои он ки мо “эронӣ” шавем, ҳоло акнун мехоҳем ё на, аввал бояд “тоҷик” шавем. Ин гуна нашавад, ки аз ин мондаву аз он ронда гардем?
Хуб биёед, ин ҷо як ройдиҳие роҳ андозем ва бубинем, иштирокдорони “Андеша” дар ин масъалаҳо ба чӣ назаранд?
حسد مي برم به آنهايي كه با زباني روان و زيبا مي نويسند.اما حسد من رنگ سفيد دارد.مي خواهم روزي زبان مادري ام را به درجه اي دانم كه بتوانم بي غلط وزيبا مانند دوستان هم انديش مان رامين ،داريوش وديگر بنويسم وخودم از نوشته هاي خودم لذت ببرم.
رامين عزيز بحثي عايد به مناسبت ملي رودكي و فردوسي را در تارنگار خود «جام جم» ادامه داد وفكر وانديشه جالبي را در ميان گذاشت.من نوشته اخير او را در اين تارنگار با لذت تمام مطالعه كردم و خيلي خوش شدم.به فكرم باز نشر مقاله عبدالعظيم عبدالوهاب با وجودي كه رامين او را از پيروان محمود كوير مي داند ،كاري درست بود چون كه به دنبالش نقطه نظرهاي زيادي بيان شد و مي بايست همين طور هم مي شد.ما بايد حق داشته باشيم ،كه چنين مسئله ها را مطرح و بحث كنيم وبه خلاصه اي برسيم.بر عكس رامين وداريوَ من بر اين فكر هستم كه بحث نكردن اين مسئله ها مي تواند نشانه خود كم بيني باشد نه بحث كردن آنها.
از سويي هم بحث ما عينا در سطح بخش عقلوي مردم ماست و اميد دارم،به بسياري ها تاثير خواهد كرد.بر عكس داريوش ورامين از اين بخش اغلب چندين قدم ها پيش رفته اند و فهميدن فكر آنها برايم يك اندازه مشكل است.
حالا بياييم به سر اصل مطلب.بحث سر اين نبود ونيست كه ما ايراني هستيم يا نه.اگر ابراهيم عثمان خود را ايراني الاصل نمي شمارد ،كار اوست ،حقيقت يكتاست.ما از نژاد آريايي وايراني هستيم.بحث بر سر اين است كه چرا برخي افراد مخالفند كه فردوسي و رودكي به ما نيز تعلق دارند واگر دليل آنها اين است كه:«باژ كجا و دوشنبه كجا؟» عبدالوهاب دليل جوابي مي گذارد كه :«پنجرود كجا وتهران كجا؟»و بدان معني كه منطق كوير خچير است كه به هر دو پا مي لنگد،اما خچيري خطرناك وتفرقه انگيز.
ولي چون دوستان بحث را به آنجا كشاندند كه ما نبايد خود را «تاجيك» گوييم،بلكه با ايراني خواندن خويش مسئله هويت فردوسي ورودكي را حل كنيم،مشكل سنگينتر مي شود.
در دوره معاصر عرصه معاملات مردم ما اساسا روسيه وكشورهاي آسياي مركزي است.در اينجا ما را همچون تاجيك مي شناسند.واژه تاجيك اختراع يا دروغ يك گروه شوروي زده نيست بلكه از عمق تاريخ مي آيد.ملت ما تاجيك است وزبان ما فارسي.شما شاهد بوديد كه از قانون اساسي واژه فارسي را كنار گذاشتند.مناسبات ايراني ها ،چه از ايران وچه ايراني هاي خارج به صورت عموم به علت مذهب يا سببهاي ديگر ،با وجود نمونه هاي كم نه چندان صميمانه است.خود را ايراني گفتن ما پيش از همه نه به معني فرهنگ ،بلكه به معناي مليت و مذهب ،پذيرفته خواهد شد.بلكه جدايي وپراكندگي بيشتر در ميان يك ملت كم شمار وبه اين هم پريشان و ناتفاق.
در چنين حالت فكر شخص من اين است ،كه در مرحله فعلي روزگار سخت خويش ،وقتي هم رامين وهم داريوش اعتراف مي كنند كه ملت ما در بحران هويت غرقه گشته است،بحراني تر كردن وضع وگيج تر كردن افكار مردم كاري صواب نخواهد بود.براي آنكه ما «ايراني»شويم،حالا اكنون مي خواهيم يا نه،اول بايد تاجيك شويم.اينگونه نشود كه از اين مانده واز آن رانده گرديم.
خوب بياييد اينجا يك راي دهي راه اندازيم و ببينيم ،اشتراك داران «انديشه» در اين مسئله ها به چه نظر اند؟

برگردان به خط پارسي :باقر كتابدار

شما را كدام جني كجاك زد؟


ТВ-1 Тоҷикистон ба муносибати 950–солагии имом Ғазолӣ намоише нишон дод, ки пур аз ҳамду санои ин донишманди асримиёнагӣ иборат буд. Дар ин санохонӣ аз донгишмандони Эрон оқои Шеърдўст ва аз Тоҷикистон донишмандони варзида ширкат намуданд.

Вақте ки Шеърдўст дар ин бобат санохонӣ мекунад ўро фаҳмидан мумкин аст. Зеро вазифа тақозо мекунад. Аммо нафаҳмидам, ки олимони тоҷикро чӣ ҷини каҷҷак задааст, ки ҳарфе аз хатоҳои Ғазолӣ пеш наоварданд. Ҳол он ки маҳз Ғазолӣ алайҳи ақлпарастии Сино ва Хайём бархоста буд ва ин ҷараёни мусбати фикриро абадул абад гўр карда пешрафти афкори мардумони эронинажодро ҳазор сол ба оқиб афканд.

ТВ-1-ро минбаъд мебояд, ки дар чунин маврид зери сурати ҳар як донишманди сухан кунанда ному унвонашро нависад, то ки донишмандони тоҷик масъулиятеро дар назди таърих ва оянда ҳис кунанд.
شبكه اول تلويزيون تاجيكستان به مناسبت 950 سالگي امام غزالي نمايشي نشان داد كه پر از حمد وثناي اين دانشمند عصر ميانگي عبارت بود.در اين ثنا خواني از دانشمندان ايران آقاي شعردوست واز تاجيكستان دانشمنداني ورزيده شركت نمودند.
وقتي كه شعر دوست در اين بابت سخناني مي كند اورا فهميدن ممكن است.زيرا وظيفه تقاضا مي كند.اما نفهميدم كه عالمان تاجيك را چي جني كجاك زده است كه حرفي از خطاهاي غزالي پيش نياوردند؟
حال آن كه مغز غزالي عليه عقل پرستي سينا و خيام برخاسته بود و اين جريان مثبت فكري را ابد الابد گور كرده،پيشرفت افكار مردمان ايراني نژاد را هزار سال به عقب افكند.
تلويزيون اول تاجيكستان منبعد مي بايد كه در چنين مورد زير صورت هر يك دانشمند سخن كننده ،نام وعنوانش را نويسد تا كه دانشمندان تاجيك مسووليتي را در نزد تاريخ و آينده حس كنند.
اصل مقاله: آداش استاد
آداش استاد از نويسندگان پارسي زبان مقيم در ازبكستان است

http://gerbisherdor.blogspot.com/2008/10/blog-post_18.html
برگردان به خط پارسي:باقر كتابدار
http://persianbooks2.blogspot.com

Thursday, May 15, 2008

فيلمهاي فارسي تلويزيون سفينه در روزهاي پيش رو:

شنبه

17

مه

از ساعت

2220

تا

2340

فيلم مرگ سودخور

سه شنبه

بيستم ماه مه

2220

تا

24

فيلم سينمايي زني از كشوري دور

جمعه بيست وسوم ماه مه

915

تا

1000

فيلم خيانت

از ساعت

2045

تا

2150

فيلم مستند:

كورسك ،چند لحظه تا فلاكت

شنبه بيست وچهارم ماه مه

1320

تا

1550

فيلم سينمايي محمد علي

2220

تا

2340

دختر سيام

يكشنبه بيست وپنجم ماه مه

1315

تا

1600

فيلم سينمايي

عمر،اكبر،آنتوني

2200

تا

2330

بادبانهاي آرگواني

Friday, February 8, 2008

فيلمهاي فارسي تلويزيون سفينه درروزهاي آتي


جمعه هشتم فوريه
فيلم شريك
ساعت
1020
تا
1050

فيلم سينمايي فاصله
2220
تا
2350

شنبه نهم فوريه

فيلم پدر ظالم
1840
تا
1910

يكشنبه دهم فوريه
فيلم سينمايي
دست برلياني
2130
تا
2330


شنبه شانزدهم فوريه
فيلم سينمايي
نسيمي

2220
تا
2350
تلويزيون بهارستان به زبان فارسي در ماهواره
ABS1
شروع به كار كرد.
با آمدن اين كانال فارسي ازكشور تاجيكستان، تعداد كانالهاي فارسي اين ماهواره به پنج عدد رسيد.
فركانس
12740
7247
vertical
شبکه تلویزیونی بهارستان یکی از شبکه‌های تلویزیون دولتی این کشور است و تمامی جمهوری تاجیکستان را زیر پوشش خود دارد.هدف اوليه از راه اندازي اين شبكه،ايجاد كانالي ويژه كودكان ونوجوانان بوده است.

برنامه
‪ ۱۶قسمتي تلويزيوني آموزش خط فارسي(الفباي نياكان) نيزكه باهمكاري رايزني فرهنگي ايران و شبكه دولتي بهارستان تاجيكستان تهيه و توليد شده ، يكي از پر بيننده‌ترين برنامه‌هاي تلويزيون اين شبكه درتاجيكستان بوده است.
اين برنامه هر جمعه ساعت
830
و
1800
پخش مي شد
همانطور كه مي دانيد جمهوري ازبكستان فارسي زبانان بيشماري دارد كه متاسفانه در تقسيمات سياسي نابه جا،تحت تابعيت ازبكستان قرار گرفته اند.ناحيه بهارستان يكي از اين نواحي فارسي زبان است كه امروزه در قلمرو ازبكستان واقع شده است.
مقصود از نامگذاري اين شبكه هم علاوه بر اشاره بر كودكانه بودن آن ،ياد آور آين نكته است كه فارسي زبانان تاجيك برادران خودرا در ازبكستان فراموش نكرده اند.